मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017

पटकथा लेखक के गुण

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    कहानी का सृजक अपनी प्रतिभा के बलबूते पर कहानी की रचना करता है। उसका यह लेखन अपने अंतर की प्रेरणा का स्वरूप होता है। लेखक जो लिखता है उसका व्यावसायिक लाभ कमाने का उद्देश्य कम होता है, अर्थात् उसका लेखन करने का उद्देश्य स्वांतः सुखाय अधिक होता है। लेकिन यहीं कहानियां फिल्मों के भीतर पटकथा का स्वरूप धारण कर जब परदे तक का सफर तय करना शुरू करती है तब हर जगह पर उसके साथ व्यावसायिकता जुड़ जाती है। अर्थात् फिल्मों में पटकथा लिखना भी व्यावसायिक मांग की तहत आता है। पटकथा लेखक के हाथों में कहानी सौंपी जाती है और उसे कहा जाता है कि फिल्म के लिए इसकी पटकथा तैयार करें। बहुत जगहों पर ऐसे पाया जाता है कि मूल कहानी का लेखक और पटकथा लेखक दोनों एक ही है। मूल लेखक ही कहानी को पटकथा के स्वरूप में ढालता है। व्यावसायिक धरातल पर उस लेखक के लिए लेखक और पटकथा लेखक दोनों का मानधन भी दिया जाता है। फिल्मों के अनुकूल पटकथा लिखना एक कला है। आज-कल हमारे आस-पास फिल्मों के अलावा ऐसे कई मनोरंजन के साधन, टी. वी. चॅनल्स और अन्य क्षेत्र है वहां पर पटकथा लेखन की आवश्यकता पड़ती है। प्रतिभावान और इस क्षेत्र में रुचि रखनेवाले लोगों के लिए पटकथा लेखन करना आय के स्रोत की उपलब्धि करवाता है। प्रस्तुत आलेख 'रचनाकार' ई-पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, आगे पढने के लिए यहां पर क्लिक करें - http://www.rachanakar.org/2017/02/blog-post_57.html

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